Monday, June 8, 2020

सत्यकथा,, दानविर रहीम जो दान देते वक्त नजरे नीचे झुका लेता था,

*रहीम एक बहुत बड़े दानवीर थे। उनकी ये एक खास बात थी कि जब वो दान देने के लिए हाथ आगे बढ़ाते तो अपनी नज़रें नीचे झुका लेते थे।*

*ये बात सभी को अजीब लगती थी कि ये रहीम कैसे दानवीर हैं। ये दान भी देते हैं और इन्हें शर्म भी आती है।*

*ये बात जब तुलसीदासजी तक पहुँची तो उन्होंने रहीम को चार पंक्तियाँ लिख भेजीं जिसमें लिखा था* -

*ऐसी देनी देन जु*
*कित सीखे हो सेन।*
*ज्यों ज्यों कर ऊँचौ करौ*
*त्यों त्यों नीचे नैन।।*

*इसका मतलब था कि रहीम तुम ऐसा दान देना कहाँ से सीखे हो? जैसे जैसे तुम्हारे हाथ ऊपर उठते हैं वैसे वैसे तुम्हारी नज़रें तुम्हारे नैन नीचे क्यूँ झुक जाते हैं?*

*रहीम ने इसके बदले में जो जवाब दिया वो जवाब इतना गजब का था कि जिसने भी सुना वो रहीम का कायल हो गया।*
*इतना प्यारा जवाब आज तक किसी ने किसी को नहीं दिया।*

*रहीम ने जवाब में लिखा* -

*देनहार कोई और है*
*भेजत जो दिन रैन।*
*लोग भरम हम पर करैं*
*तासौं नीचे नैन।।*

*मतलब, देने वाला तो कोई और है वो मालिक है वो परमात्मा है वो दिन रात भेज रहा है। परन्तु लोग ये समझते हैं कि मैं दे रहा हूँ रहीम दे रहा है। ये सोच कर मुझे शर्म आ जाती है और मेरी आँखें नीचे झुक जाती हैं।*                                                           आ ज   मुझै ऐसेही मेरा दोस्त अब्दुल रहीम के की याद आ रही है,पिछले नगरनिगम चुनाव म ैजनता दल के टिकट पर मै नगरअध्यक्स ,रहीम नगरसेवक के फॉर्म भरते हुए ,,,,,जो हजारो, जनता ऊमल पडी थी सभीऔसै बडी  रँली थी,,और ये देख बाद मै प्रचार मै घरघर जो प्यार सन्मान मिलता था ,,चुनाव मै लाखो रुपया का अॉफर ठुकरा दिया , वो आज भी कायम है, पर वो नही है,,हैै दिलोमै वो मेरे हमारे,,,,ऐसैदोचार साथी रावेर मै  ,,,जबतक तैयार नही होतै मै विकास और चुनाव से दुर ही हु,,,,उपर की कथा के रहीम से मेरा रहीम बहोत दिलवाला था  उन. रहीम अशोक श्री खंडे अनवर की याद मै  रोता रहता हुं. सलाम ,✍🏼🙏🏼🙏🏼    प्रशांत बोरकर,,,,,हम सब एक है हम सब नेक है 🙏🏼धन्यवाद🙏🏼 8जून 2017 फेसबुक पोस्टtrede enqyiry 8208361187

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