किसी पहाड़ पर बंदरों का एक झुंड रहता था । एक बार पहाडों पर काफी वर्षा और बर्फ पड़ने के कारण ठण्ड बहुत हो गई। इस ठण्ड से बचने के लिए बंदरों ने एक ऐसे फल को आग समझकर इकठ्ठा कर लिया, जिसकी शक्ल आग से मिलती थी । इस आग को सुलगाने के लिए सभी बंदर फूंक मारने लगे, बाकी के बंदर उसे आग समझ चारों ओर तापने के लिए बैठ गए । इन बंदरों को देखकर एक पक्षी बोला---
'अरे तुम सब पागल हो गए हो! यह अंगार नहीं, यह तो उससे मिलता-जुलता फल है । इससे भला सर्दी कहां दूर होगी! तुम लोग किसी पहाडी गुफा में छुपने की बात सोचो, क्योंकि अभी तो बर्फ और गिरेगी ।' बंदरों का सरदार बोला, "अरे तू हमें क्या बताएगा, हम सब समझते हैं ।' पक्षी ने एक बार फिर कहा, 'अरे भैया, मैं तुम्हारे ही हित की बात कह रहा हूं, तुम इस भयंकर ठंड से बचने के लिए कहीं पर भी छिप जाओ, नहीं तो मारे जाओगे ।' उस पक्षी की बात सुनकर एक बन्दर को क्रोध आ गया । उसने उस पक्षी के पर नोंचकर उसे पत्थर पर दे मारा । यह मिला उस बेचारे को फ़ल भलाई और शिक्षा देने का ।
"मूर्ख को शिक्षा देने का कोई लाभ नहीं "
Find at - आज जो चल रहा हे एस कथा से आपको सब याद आ गया ही होगा,,,,किसीं नेता पर बेवकुफ जेस्सा प्यार करणे वाले वो बंदर ही हे ओर share करणेवाले हम पक्षी हे,, 🤣😃🤗😘🙄
Sunday, February 23, 2020
मूर्ख को शिक्षा नहीं भाती
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संपादक के बोल
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